हम चाहते हैं कि हमारे सपने पूरे हों, लेकिन क्या कारण है कि आलस नहीं छोड़ पाते? पिछले कुछ समय से, कंचन और आनंद, अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान नहीं दे रहे थे। उनकी मां ने उन्होंने समझाते हुए कहा- एक बार, तुम दोनों के जैसे ही एक आदमी था। इतना आलसी था, कि सोचता था कि बिना मेहनत के भोजन और सब मिल जाए। एक दिन उसने जंगल में, एक भेड़िये को देखा, जिसके केवल 2 पैर थे। वो सोचने लगा कि इसे भोजन कैसे मिलता होगा। अचानक उसने देखा कि एक शेर, मुंह में मांस का टुकड़ा लिए, भेड़िये के पास आया और उस मांस के टुकड़े को भेडि़ए के आगे रखकर, वहां से चला गया।
यह देखकर वो आदमी खुश हुआ। और सोचने लगा कि भगवान इसकी देखभाल कर रहे हैं, तो उसके लिए भी कोई न कोई प्लान तो जरूर होगा। वो घर गया और इंतजार करने लगा कि उसके लिए भी कोई न कोई भोजन लेकर आ जाएगा। जैसे उस भेडि़ए को मिला। वो 2 दिन तक, बिना खाने के, इंतजार करता रहा। एक संत उसके घर के पास से गुजरे। उसने उन्हें पूछा- भगवान अपंग भेड़िये पर दया करते हैं, लेकिन मुझ पर दया क्यों नहीं की? संत ने जवाब दिया। यह सच है कि भगवान के पास, हर किसी के लिए कोई न कोई योजना जरूर है, तुम्हारे लिए भी है। लेकिन वो चाहते हैं कि तुम भेडि़ए की तरह नहीं, बल्कि उस शेर की तरह बनो। हमें दूसरों पर निर्भर रहने वाला नहीं, दूसरों की मदद करने वाला इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए।